लॉकडाउन कोई विकल्प नहीं

एक वर्ष पूर्व जब कोरोना जैसी महामारी हमारे लिये बिल्कुल नयी थी, हमें उस स्ट्रेन का पता भी नहीं था कि ये इतना घातक भी हो सकता है, तब सिर्फ एक ही विकल्प था, वो था लॉकडाउन। उस लॉकडाउन ने पटरियों पर दौड़ती देश की उस गाड़ी को रोक दिया था, जो कभी इमरजेंसी में भी नहीं रुकी। लोगों के रोजगार छिन गए थे। प्रवासी मजदूर मजबूरों की तरह सड़क नाप रहे थे, व्यापार रुक गया था। हम जेलों की तरह घरों में कैद हो गए थे, स्थिति बद से बदतर और परिस्थिति भयावह हो गयी थी। आज हम फिर पिछले साल की स्थिति में आ गए हैं, अब सवाल उठ रहा है कि क्या फिर से लॉक डाउन लगना चाहिए?

मनुष्य का जीवन बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इस जीवन को चलाने के लिये जीविका उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। जीविका के लिये ही मजदूर पलायन करता है, घर बार छोड़कर विदेश तक चला जाता है। आर्थिक मंदी में जब उसका रोजगार ही छिन जाए तो वो भला कैसे जी पायेगा। आज हमें कोरोना क्या मर्ज है ये तो समझ में आ गया है, वो कितना घातक है, ये भी हमने समझ लिया है। हमने उसकी दवाई भी ढूंढ ली है। लेकिन हमारी लापरवाहियों और बीमारी को गंभीरता से ना लेने वाली सोच ने आज हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है। आज हम बीमार होकर लाचार हो गए हैं।

पिछले महीने तक हमने कोरोना को काफी हद तक नियंत्रण में कर भी लिया था, लेकिन आज हम वहीं पहुंच गए हैं, जहाँ पिछली साल थे। कोविड प्रोटोकॉल के तहत जहाँ हमें मास्क और दो गज की दूरी की अनिवार्यता समझायी गयी थी, हमने उसे उतनी गंभीरता से नहीं लिया। सरकार ने भी कड़ाई में ढिलाई दी। जिसका नतीजा हुआ कि त्योहारों पर आवाजाही बढ़ गयी। दिल्ली और महाराष्ट्र में कोरोना बढ़ने पर लोगों ने फिर से अपने गांव आना चालू कर दिया, कुछ घर आये तो साथ में बीमारी भी लेकर आये। सत्तारूढ़ पार्टी भी चुनाव प्रचार में व्यस्त हो गयी, खचाखच भीढ़ को उपलब्धि के तौर पर दिखाए जाने लगा, मेट्रो, रिक्शा तथा सिनेमाघर खोल दिये गए। लोगों के मन से जनचेतना मानो गायब ही हो गयी। वैक्सीन के विषय में गलत प्रचार प्रसार किया गया, लोगों ने लगवाने से भी किनारा कर लिया। नतीजा ये निकला कोविड स्ट्रेन 2 और भी घातक बनकर आ गया।

आज की स्थिति में जहां देश भर में 12 लाख केश एक्टिव हैं वहीं उत्तर प्रदेश में 81576 केश एक्टिव हैं। अब आलम ये है कि यूपी में रोज 12-13 हजार नए केश सामने आ रहे हैं। लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी तथा कानपुर में स्थिति भयावह हो गयी है। कुल मामलों के लगभग आधे मामले इन्हीं चार महानगरों से आ रहे हैं। वहीं सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि वो लॉक डाउन के विषय में बिल्कुल नहीं सोच रहे हैं। यूपी में कुल 8000 वैक्सिनेशन केंद्रो के माध्यम से 90 लाख लोगों को वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। जहाँ 500 से अधिक मामले क्रियाशील हैं वहां रात्रि 9 बजे से सुबह 6 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लगाया जा चुका है। लोगों में जागरूकता तथा कुशल नियंत्रण के लिये प्रत्येक जिले में कोविड से संबंधित कमांड एवं कंट्रोल सेंटर सुचारू हैं। आरटी-पीसीआर टेस्टिंग का 70 फीसदी तक लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रत्येक सरकारी कार्यालय में कोविड हेल्पडेस्क स्थापित की गयी है। ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम निगरानी समिति क्रियाशील है। सेनेटाइजेशन एवं 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के शत प्रतिशत टेस्टिंग पर सरकार ध्यान दे रही है।

अब नवरात्र और रमजान पर्व आ रहा है, अतः प्रोटोकॉल के तहत निर्धारित धर्मस्थलो पर एक बार में 5 से अधिक लोग जाने से परहेज करें। सावधानी ही बचाव है, अतः मास्क और दो गज दूरी की अनिवार्यता का पालन करें।

जीवन के साथ जीविका भी जरूरी है, क्योंकि जीविका का सीधा असर परिवार की अर्थव्यवस्था और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, हम मंदी का दौर देख चुके हैं, जिसका सीधा असर सामान्य जनजीवन पर पड़ता है। सरकार को आमजन के कल्याण के लिए राहत पैकेज देना पड़ता है, जिससे महंगाई बढ़ती है, मध्यमवर्गीय परिवार पर बोझ बढ़ता है। पिछले साल भी गरीब कल्याण योजना के तहत राहत पैकेज दिया गया था। अतः मानवीय गरिमा, सुरक्षा और सम्मान के लिये लॉक नहीं अनलॉक रहने की जरूरत है। सामान्य जनजीवन सुचारू रूप से चले उसके लिए हमारे देश में लॉक डाउन की कहीं कोई आवश्यकता नहीं है।

Leave a comment